सच्ची बात

सच्ची बात

  • - राजु छेत्री

रुलाकर हसाया करो,
उसमें मजा अलग हैं।
प्यार करो,दिखावो नहीं
उसमें अहसास अलग हैं।।

बिन रूलावट के हँसी
काहाँ किसीको हँसाए।
रूलाना जरूरी हे क्योंकि
हसने का अर्थ कोई तो समझ पाएं।।

एकबार रोकर तो देखो जरा,
सिर्फ हँसी ही ईन्सान को 
खुश नहीं कर सकता,
हँसते हे लोग दिखावे के लिए
रोने के बाद कि हँसी/खुशी
इनको भी एहसास कराओं जरा।

गुस्सा करते है लोग जहाँ,
सच्चाई रहती है वहां वहां।
हर वक्त हस्ते हुए लोग,
सच्चाई से जिते नही यहां।।

हँसते है भी तो मजबूर से,
क्यूँकि लोग क्या कहेंगे यहाँ।।
झूठ बोलकर 
खुश होने की नाटक करते है लोग,
पर खुदको झूठ बोलकर,
खुशी से रह नहीं पाते यहां।

रूकावट ज्यादा करें क्यों..?
जीने दैं खुशी से कुछ पल यूं
आखिर आए भी तो कुछ दिन के लिए
कोई कुछ भी कहें
खुद की खुशी की जगह,दुनिया क्या कहेंगे
उसमें नजर लगाएँ भी क्यों.?

आसान नहीं है हर किसी को खुश करना,
नाराज हो जाएगें आपकी प्रयासौ से।
जरा झौंककर देखो खुदमैं,
खुदकी खुशी भी चली गयी यूँहीं
औरो को खुशी करने की प्रयत्नौ मैं।।



राजू छेत्री द्वारा लिखित।।


Written by - Raju Chetry

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